5 प्रकार की खाद और उर्वरक मिट्टी होम गार्डन का सपना करेगी पूरा
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जिंदगी में सब एक घर का सपना जरूर देखते हैं, जिसके आस-पास हरियाली हो। आज भी गाँव में लोग खेतों से फ्रेश सब्जियां तोड़कर लाते हैं और बड़े चाव से उन्हें खाते भी हैं। मगर धीरे-धीरे लोग अब शहर में ज्यादा बसने लगे हैं। हाँ, हम समझ सकते हैं फार्म फ्रेश सब्जियां खाने के लिए आप हर बार गाँव नहीं जा सकते, मगर गाँव की फ्रेश सब्जियां आपके होम गार्डन में जरूर आ सकती हैं।
आज हम आपको बताएंगे आपके होम गार्डन के लिए पांच प्रकार की खाद के बारे में और मिट्टी को उर्वरक बनाने के तरीकों के बारे में। इनके इस्तेमाल से आप अपने होम गार्डन में सब्जियां और फूल कुछ भी आसानी से उगा सकते हैं। आइए सबसे पहले खाद के बारे में जानते हैं।
खाद मिट्टी के पोषक तत्व को बढ़ाकर उसे रोपण के लिए बेहतर बनाती है। खाद दो प्रकार की होती हैं -
- रासयनिक खाद
- प्राकृतिक खाद
प्राकृतिक खाद को जैविक और रासायनिक खाद को उर्वरक भी कहा जाता है। जब हम जैविक खाद की बात करते हैं तो इसके कुल चार प्रकार होते हैं - गोबर की खाद, हरी खाद, वर्मी कम्पोस्ट (केंचुआ खाद), कम्पोस्ट खाद!
- गोबर की खाद - गोबर की खाद को तैयार करने के लिए पालतू पशु जैसे गाय, बैल, बकरी, घोड़ा आदि के मल-मूत्र का इस्तेमाल किया जाता है। पशुओं के मल-मूत्र में पुआल, भूसा, पेड़-पौधों की सूखी पत्तियों को मिलाया जाता है। इसी तरीके से गोबर की खाद तैयार होती है।
- केंचुआ खाद - वर्मी कंपोस्ट या केंचुआ खाद को बनाने के लिए केंचुओं का ही इस्तेमाल होता है। ये केंचुए पौधों और फलों के अवशेष को खाते हैं और मल के रूप में इन्हें खाद में परिवर्तित कर देते हैं। खाद को बनाने का ये प्राकृतिक तरीका, पेड़-पौधों के उगने के लिए मिट्टी को बेहतर बनाता है।
- कंपोस्ट खाद - सोशल मीडिया पर कंपोस्ट खाद काफी चलन में है। इसके कई फायदे हैं। इसे ‘कूड़ा खाद’ के नाम से भी जाना जाता है। कंपोस्ट खाद आदि बनाने के लिए किचन वेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है। किचन के गीले कचरे जैसे सब्जियों के छिलके, बेकार खाना, सड़े हुए फल आदि का इस्तेमाल किया जाता है। होम गार्डन के लिए ये खाद तैयार करना सबसे आसान है। इससे घर से कचरा भी कम निकलता है और वेस्ट से आप बेस्ट खाद की बना सकते हैं। एक बड़े से मिट्टी के बर्तन में आप गीले कचरे के साथ सूखी पत्तियां या पुआल डालकर इसे सड़ाकर खाद बना सकते हैं। खाद तैयार होने के बाद इससे बहुत ही अच्छी खुशबू भी आने लगती है।
- हरी खाद - हरी खाद में हरी फसलों को ही मिट्टी में दबाकर, मिट्टी के उर्वरता बढ़ाई जाती है। लोबिया, मूंग जैसी फसलों को मिट्टी में दबा देने से ये मिट्टी को उर्वरक बनाते हैं।
- कोकोपीट - नारियल की जटाओं को भी खाद की तरह इस्तेमाल किया जाता है। यह, खाद का एक खास प्रकार नहीं है लेकिन इसे भी आप खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। आप बाहर से भी इन्हें खरीद सकते हैं। यह मिट्टी को ढीला, भुरभुरा और हवादार रखने में मदद करता है। नारियल की जटाओं में पानी रोकने की क्षमता होती है जो मिट्टी में लंबे समय तक नमी बरकरार रख सकती है।
प्राकृतिक खाद के लाभ : -
- मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है।
- भूमि में फायदेमंद जीवाणुओं की संख्या बढ़ने लगती है।
- मिट्टी में नमी बरकार रहती है।
- मिट्टी को सींचने की आवश्यकता कम पड़ती है।
- प्राकृतिक खाद को घर पर बनाया जा सकता है।
- पौधे, सब्जियों और फलों की गुणवत्ता बढ़ती है!
- फसलें ज्यादा मात्रा में होती है।
- मिट्टी काफी अच्छी बनती है, जिससे पेड़-पौधों की जड़ भी मजबूत बनती है।
खाद का दूसरा प्रकार जो कि रासायनिक खाद होती है। इस खाद को फसल में तत्काल वृद्धि के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह कई प्रकार के रसायनों को मिलाकर बनाई जाती है। रासायनिक खाद आसानी से बाजार में आपको मिल जाएंगे, लेकिन इनके लगातार इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वता कम भी होने लगती है। होम गार्डन के लिए बेहतर होगा कि आप प्राकृतिक खाद ही उपयोग में लाएं।
देश में पाई जाने वाली मिट्टी के पांच विभिन्न प्रकार
खाद भी तभी असरदार हो सकता है जब आपके होम गार्डन में मिट्टी सही तरीके की हो। मिट्टी किसी भी पौधे के लिए आधार होती है। मिट्टी अच्छी होने से पौधे जल्दी विकसित होते हैं और अच्छी फसल देते हैं। आइए देखे मिट्टी के प्रकार और जाने किस तरह की मिट्टी आप के होम गार्डन के लिए है सबसे बेहतर!
हमारे देश में मुख्यतः पांच तरह की मिट्टी पाई जाती है, जो हैं - जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी, लाल मिट्टी, रेतीली मिट्टी और लैटराइट मिट्टी!
- जलोढ़ मिट्टी - जलोढ़ मिट्टी नदियों के द्वारा बनती हैं। यह मिट्टी नदियां अपने साथ बहाकर लाती हैं। नदी के तलछटों पर ये मिट्टी पाई जा सकती है। प्राकृतिक रूप से ये मिट्टी काफी उपजाऊ होती है। जलोढ़ मिट्टी राजस्थान के उत्तरी भाग, पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और असम के आधे हिस्से में पाई जाती है। इस मिट्टी की खास बात यह है कि हर साल नदियों के बहाव से ये मिट्टी नई हो जाती है।
- काली मिट्टी - कपास की खेती के लिए काली मिट्टी को सबसे उपयोगी माना जाता है। यह मिट्टी देश के लावा प्रदेश में पाई जाती है जिसके अंदर गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत आंध्र प्रदेश का पश्चिमी भाग आता है। इस मिट्टी की सबसे बड़ी खास बात यह है कि ये मिट्टी खुद में नमी को लॉक करने में पूरी तरह सक्षम है।
- लाल मिट्टी - यह मिट्टी पत्थरों और चट्टानों के टूटने से बनी होती है। भारत के दक्षिणी भू-भाग पर लाल मिट्टी सबसे अधिक पाई जाती है।
- रेतीली मिट्टी - यह मिट्टी रेगीस्तानी इलाके में पाई जाती है और यह बिल्कुल भी उपजाऊ नहीं होती है। रेतीली मिट्टी में जैविक पदार्थों की काफी कमी होती है और नमक इस मिट्टी में काफी अधिक होता है।
- लैटराइट मिट्टी - पश्चिम बंगाल से लेकर असम के क्षेत्रों में इस मिट्टी को पाया जाता है। यह मिट्टी बड़े पैमाने पर अखरोट, चाय, कॉफी की खेती के लिए बेहतर है।
होम गार्डन के लिए आदर्श मिट्टी
होम गार्डन के लिए सही मिट्टी का आकलन करने का तरीका ये है कि अपने हाथों से मिट्टी को गोल आकार देने की कोशिश करें। अगर मिट्टी गोल आकार ले लेती है और दबाने पर यह टूट जाती है तो इस मिट्टी को आप अपने होम गार्डन के लिए चुन सकते हैं।
होम गार्डन के लिए आप खाद, मिट्टी को सही मात्रा में मिलाकर तैयार कर सकते हैं। कहीं खुदाई चल रही हो वहां से या फिर नर्सरी से भी आप अपने ड्रीम गार्डन के लिए मिट्टी खरीद सकते हैं।
मिट्टी की उर्वरता को बरकरार रखने के लिए आप समय-समय पर मिट्टी को मिला सकते हैं, धूप दिखा सकते हैं और घर के बने प्राकृतिक खाद उसमें मिला सकते हैं।
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