मोटापे से निजात पाने में योग का महत्व

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जीवन का आनंद लेने के लिए स्वस्थ और फिट रहना बहुत जरूरी है। आज के समय में रहन-सहन, बुरी आदत तथा खान-पान में अनियमितता के कारण शरीर बेडौल हो जाता है। कूल्हे व पीठ का भाग बढ़ जाता है, पेट के लटकने से मांसपेशियाँ ढीली हो जाती हैं, हाथों व जाँघों का थुलथुला हो जाना ये सभी लक्षण मोटापे के रूप में दिखते हैं। जितना ज्यादा फैट होगा, उतना ही ज्यादा बीमारियों का खतरा भी बढ़ेगा। हालांकि, संतुलित आहार, व्यायाम और योग की मदद से काफी हद तक बैली फैट को कम किया जा सकता है। कुछ ऐसे योगासन हैं जिनकी मदद से पेट की चर्बी को बहुत ही कम समय में कम किया जा सकता है। ये योगासन न केवल पेट से फैट को कम करते हैं बल्कि शरीर और मस्तिष्क को भी स्‍वस्‍थ रखते हैं। आज उन्हीं पेट की चर्बी , मोटापे को कम करने वाले योगासन के बारे जानते है।
 

धनुरासन

धनुरासन अर्थात 'धनुष के समान'। इसे bow pose के नाम से भी जाना जाता है। यह पेट का मोटापा कम करने , डायबिटीज, कमर दर्द,अस्थमा, स्लिप डिस्क , विस्थापित नाभि व थायराइड में भी मददगार है।
धनुरासन की विधि : योग करने के लिए पेट के बल लेट जाएं। उसके पश्चात घुटनों से पैरो को मोड़ते हुए दोनों हाथों से कमर के पास पकड़े। सांस लेते हुए अपने कूल्हे व छाती को ऊपर उठाएं। पैरो को आगे की ओर शरीर को पीछे की ओर खींचे ताकि आप की मुद्रा धनुष की तरह दिखे। हाथों को सीधे रखते हुए पैरो की मांसपेशियों में तनाव पैदा करते हुए खींचे। पैरो को पकड़ते समय श्वास अंदर ले। मूल स्थिति में आते हुए सांस छोड़ें। इस मुद्रा को 1 मिनट तक बनाए रखें। सांस को धीरे धीरे छोड़े और छाती पर को जमीन पर रखकर आराम करें। यह आसन खाली पेट करें क्योंकि पूरा जोर पेट पर ही पड़ता है
सावधानी : जिसने पेट या गर्दन का आपरेशन करवाया है, उच्च रक्तचाप, अल्सर व हर्निया रोग से ग्रस्त तथा गर्भावस्था के दौरान यह आसन विशेषज्ञ की सलाह से करना चाहिए।
 

भुजंगासन

भुजंगासन सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से आठवां है। भुजंग का अर्थ 'सर्प'। इस आसन की आकृति फन उठाए हुए सांप की भांति होती है। यह छाती और कमर की मांसपेशियों को लचीला बनाता है। अतिरिक्त चर्बी को काटने में सहायक और कमर में आए किसी भी तनाव को दूर करता है। मेरुदंड से संबंधित रोगियों को अवश्य ही भुजंगासन बहुत लाभकारी साबित होता है। स्त्रियों में यह गर्भाशय में खून के दौरे को नियंत्रित करने में सहायता करता है।
भुजंगासन की विधि: पेट के बल लेट जाएं। अपनी दोनों हथेलियों को जांघों के पास जमीन की तरफ करके रखें। ध्यान रखें कि टखने एक दूसरे को छूते रहें। हाथों को कंधे के समीप रखें। और हथेलियों को जमीन पर टिका कर रखें। अपने शरीर का वजन हथेलियों पर डालें। सांस भीतर खींचे हाथों के सहारे सिर्फ धड़ को सर्प के रूप में धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। ध्यान दें कि आपके कंधे कान से दूर रहें और कंधे मजबूत बने रहे। अपने हिप्स और पैरो से फर्श की तरफ दबाव बनाएं। शरीर को स्थिति में करीब 30 सेकंड तक रखें। ऊपर उठते हुए सांस की गति सामान्य रखें। मूल स्थिति में वापस आते हुए सांस छोड़ें। आराम अवस्था में आने के लिए धीरे-धीरे अपने सिर को फर्श पर विश्राम दें। अपने हाथों को सिर के नीचे रखें बाद में धीरे से अपने सिर को एक तरफ मोड़ लें।
सावधानी: कार्पल टनल सिंड्रोम, गर्भवती महिलाएं, हर्निया रोगी, रीड की हड्डी में विकार से ग्रस्त लोगों को भुजंगासन का प्रयास सलाह से करना चाहिए।
 

नौकासन

तूफानी समुद्र में भी शांत रहने वाली नाव से प्रेरणा लेकर नौकासन या नावासन की रचना की गई है। अंग्रेजी में इस आसन को boat pose भी कहा जाता है। नौकासन के अभ्यास के दौरान शरीर नाव जैसी आकृति में आ जाता है। नवासन के कई प्रकार हो सकते हैं। जैसे परिपूर्ण नावासन,अर्थ नावासन ,एक पद नावासन। यह पेट के क्षेत्र में अतिरिक्त चर्बी को दूर करने के साथ-साथ एब्स को टोन करने, गुर्दे ,थायराइड, प्रोस्टेट ग्रंथि को उत्तेजित करता है। पाचन में सुधार ,पेट की मांसपेशियों व रीड को मजबूत करने में सहायक है। हर्निया में भी यह आसनी से किया जा सकता है।
नौकासन की विधि: पीठ के बल हाथों को समांतर रखते हुए लेट जाएं। सांस लेते हुए दोनों पैर, दोनों हाथ धड़ व सिर को एक साथ जमीन से धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। ध्यान रहे सिर और पैर लगभग एक ही उंचाई पर रहे। जितनी देर इस अवस्था में रह सकते हैं। उतनी देर रुके यही क्रम पांच छह बार करें। अपने शरीर को 45° पर रखें। श्वास छोड़ते हुए नीचे की और आराम की अवस्था में आएं।
नौकासन का दूसरा तरीका हाथों को लंबित रखें। उंगलियों को आपस में मिलाकर सिर के पिछले भाग में रखें। लगभग एक फिट पैर और कंधों उठाएं। इस प्रकार यह आसन अर्थ नौकासन कहलाता है।
सावधानी: अस्थमा, ह्रदय रोगियों ,निम्न रक्तचाप ,माइग्रेन के रोगियों व महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान व मासिक धर्म के दौरान यह आसन नहीं करना चाहिए।
 

चक्रासन

चक्रासन में चक्र का अर्थ 'गोल पहिया' आसन का अर्थ 'बैठने खड़े होने में शरीर की अवस्था'। शरीर को पहिए रुपी आकार में किया जाने वाला आसन चक्रासन कहलाता है। यह मोटापे को कम करने के साथ-साथ, उधर , प्रजनन अंगों , स्त्रियों के आंतरिक रोगों व चेहरे पर ग्लो के लिए भी सहायक मंद है।
चक्रासन की विधि: पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं। दोनों पैरो को मोड़कर एड़ियों को नितंब से सटा लें।  दोनों हाथों को कान के पास इस प्रकार रखें की उंगलियां पैरो की तरफ रहे। अब धीरे-धीरे सर की तरफ वजन देते हुए सांस लेते हुए मध्य वाले भाग से पूरे शरीर को ऊपर उठाएं। इस अवस्था में कुछ देर रुके। मूल अवस्था में वापस आते समय श्वास बाहर छोड़ें पहले। सर को जमीन से टिकाएं फिर शरीर को नीचे लाएं।
यह भिन्न प्रकार से भी किया जा सकता है। उसके लिए सीधे खड़े हो जाएं। दोनों हाथ ऊपर करें। जितना पीछे झुक सकते हैं झुके व एक चक्र पूरा करें।
सावधानी: अल्सर ,हर्निया पीड़ित, गर्भावस्था व कमजोरी महसूस करने पर यह नहीं करना चाहिए चक्रासन का अभ्यास सांस अंदर रोक कर ही करना चाहिए।
 

उष्ट्रासन

pic source: freepik
 
उष्ट्रासन में शरीर ऊंट की आकृति बनाता है। इस आसन को अंग्रेजी में camel pose कहा जाता है। मोटापा कम करते हुए यह बदन को छहरहरा बनाता है। दमा के रोगी, मधुमेह रोगी, पेट संबंधी बीमारी , पीठ दर्द कमर दर्द, जननेंद्रिय के साथ-साथ नेत्र ज्योति व थायराइड जैसी बीमारियों के लिए लाभप्रद है।
उष्ट्रासन की विधि: उष्ट्रासन करने के लिए घुटनों के बल बैठ जाएं। हाथ हिप पर रख ले। घुटने और कंधे एक ही लाइन में होने चाहिए। पैरो के तलवे छत की तरफ रखें व घुटनों के बल खड़े हो जाएं। पीठ की तरफ झुकते हुए दाहिने हाथ से दाहिने ऐडी व बाएं ने हाथ से बाएं ऐडी को पकड़े सिर को पीछे झुकाए। सांस भीतर लेते समय रीड की हड्डी को आगे की तरफ जाने का दबाव डालें। इस दौरान पूरा दबाव नाभि पर महसूस होना चाहिए। मेरुदंड को अधिक से अधिक पीछे झुकाए।  इस स्थिति में 10 से 15 सेकंड रहे पूर्ण स्थिति में सामान्य श्वास-प्रश्वास करें।
सावधानी: उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, हर्निया, कमर दर्द में इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए। साइटिका वह स्लिप डिस्क वाले मरीज इसको किसी विशेषज्ञ के सामने अभ्यास करना चाहिए।
 

कुंभासन

कुंभासन एक मजबूत संतुलनकारी मुद्रा है। यह नाम संस्कृत कुंभ का अर्थात 'सांस लेना , बरकरार रखना और सांस छोड़ना' से आया है। यह फलासन ,अधोमुख दंडासन , plank pose  आदि के नाम से भी जाना जाता है। पेट की वसा बर्न करने, एकाग्रता , शरीर में लचीलापन व मांसपेशियों को मजबूत करने मैं मदद करता है।
कुंभासन की विधि: कुंभासन करने के लिए पेट के बल टेबल टॉप स्थिति में आ जाए। इस वक्त आप की कोहनी और हाथ के पंजे भूमि पर होंगे। हाथों की उंगलियों को दूर दूर करें। अपने हाथों पर जोर देते हुए छाती पेट और पुष्टिका को ऊपर उठाते हुए पैर के पंजे को सीधा करते हैं। पूरे शरीर का भार आपके हाथ के पंजे कोहनी और पैर के पंजों पर ले आएं। आपको अपनी रीड की हड्डी और गर्दन को बिल्कुल सीधा रखना है। इसकी शुरुआत 10 सेकंड से करें। फिर धीरे-धीरे समय को बढ़ाते हुए 1 मिनट से 5 मिनट तक ले जा सकते हैं।
सावधानी: अनिद्रा , सिर दर्द , घुटने या टखनों में दर्द , उच्च तथा निम्न रक्तचाप के ग्रसित लोगों को सलाह करने के बाद ही योगासन का अभ्यास करना चाहिए।
 

वशिष्ठासन

वशिष्ठासन को अंग्रेजी में side flying pose भी कहा जाता है। इस आसन का नाम ऋषि वशिष्ठ के नाम पर रखा गया है। जो सप्त ऋषि मंडल के एक ऋषि है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर में स्थिरता आने के साथ-साथ एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह कमर के साइड की चर्बी तथा पेट पर लटकते हुए मोटापे को कम करने में सहायक है।
वशिष्ठासन की विधि: वशिष्ठासन के लिए सीधे खड़े होकर अपने दोनों हाथों को फर्श पर रखते हुए कमर को झुकाए। इसके बाद आप अपने दोनों पैरो को पीछे की ओर ले जाते हुए सीधा करें। इस दौरान आपके पूरे शरीर का वजन दोनों पैरों और उंगलियों पर होगा। शरीर का सारा वजन अपने दाएं हाथ और पैर पर रखें। बाएं पैर को दाहिने पैर पर रखें। इस दौरान आपको दाएं पैर को ऊपर की ओर ले जाना है। वह बाएं पैर का वजन दाएं पैर पर होना चाहिए। अब सांस को अंदर की ओर लेते हुए बाएं पैर को ऊपर की ओर सीधा रखें। जिससे आपके दोनों हाथ एक सीधी रेखा में हो जाएं। इसमें आपका पैर, शरीर का ऊपरी हिस्सा और सर एक सीधी रेखा में रहता है। करीब 10 से 20 सेकंड के लिए ऐसी स्थिति में रहे। इसके बाद सांस को छोड़ते हुए बाएं हाथ को नीचे लाएं यह क्रिया विपरीत दिशा में दोहराए।
सावधानी: कंधे ,कोहनी तथा कलाई की चोट में, गर्भावस्था के दौरान किसी अध्यापक की निगरानी में बहुत ही आराम से किया जाना चाहिए।

 

एक पाद अधोमुख श्वानासन

अधोमुख श्वानासन का अर्थ  'नीचे मुख यानी चेहरा स्वान यानी कुत्ता आसन अर्थात मुद्रा' से लिया गया है। यह आसन एक कुत्ते के समान दिखता है जब वह आगे की ओर झुकता है। यह सूर्य नमस्कार अभिवादन का अनिवार्य हिस्सा है। इसे नियमित रूप से करने पर हाथ, पैर, कंधे, शरीर के अंगों को मजबूत बनाता है।  हृदय संबंधी समस्या, रक्तचाप की संभावना में सुधार करता है। यह हथेलियों और पैरो व पेट की टोनिंग में मदद करता है।
एक पाद अधोमुख श्वानासन की विधि: वज्रासन में बैठते हुए अपने आप को सीखते हुए पैरो और हाथों के बल शरीर को उठाएं। सांस को बाहर निकालते हुए धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाएं। जितना संभव हो उतना हाथों और पैरो को सीधा रखें सिर सीधा नजर नीचे की ओर रखें। इस दौरान अपनी कोहनियों और घुटनों को टाइट रखें। दाएं पैर को पीछे की ओर सीधा रखते हुए ऊपर की ओर उठाएं। पैर को कुछ देर के लिए इसी पोजीशन में रोककर रखें। पैर को चेस्ट के पास लेकर आए। वापस आराम की स्थिति में आ जाएं। यही निरंतर दूसरे पैर के साथ भी करें।
सावधानी: जिन लोगों को पुरानी पीठ या कंधे की चोट है, उच्च रक्तचाप या कान, नाक से संबंधित कोई संक्रमण व गर्भावस्था के दौरान इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
                                            इतिश्री।
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