बाल दिवस का महत्व और इस दिन से जुड़ी 5 सीख
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बाल दिवस स्वर्गीय चाचा नेहरू की याद में प्रतिवर्ष 14 नवंबर के दिन मनाया जाता है। कोरोना में स्कूल बंद होने के कारण इस बार का माहौल कुछ अलग है मगर आमतौर पर बाल दिवस में, हर स्कूल में उत्सव का माहौल रहता है। इस दिन स्कूल में क्विज़, गायन प्रतियोगिता, डांस कॉम्पिटीशन आदि का आयोजन किया जाता है।
बच्चों का मन कोमल और साफ होता है। देश की उन्नति भी पूर्ण रूप से देश के बच्चों पर ही निर्भर करती है। चाचा नेहरू का मानना था कि अगर बच्चों को सही राह नहीं दिखाई गई तो देश का भविष्य अंधकार में रहेगा। वो बच्चों से बहुत प्यार करते थे। इसी कारण से उनका नाम प्यार से ‘चाचा नेहरू’ पड़ा था। वो जहां भी जाते बच्चों की शिक्षा और मार्गदर्शन के लिए सबको जागरूक करते थे। उनके देहांत के बाद 14 नवंबर को ‘बाल दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया गया।
बाल दिवस का महत्व
बाल दिवस का अर्थ है बच्चों पर वर्तमान में भविष्य की चिंतन करते हुए ध्यान देना। बच्चों को जिम्मेदारी, सच्चाई-अच्छाई और मेहनत का अर्थ समझाना। बच्चों के कोमल मन पर कोई छोटी-सी बात भी घाव कर सकती है और जिंदगी भर मन में रह सकती है। इसीलिए बच्चों की परवरिश बेहद प्यार से की जानी चाहिए। बाल दिवस के दिन हर मां-बाप और शिक्षक को यह प्रण लेना चाहिए कि वो बच्चों को सही राह दिखाएंगे और प्यार से उन्हें बड़ा करेंगे, ताकि बच्चे बड़े होकर देश का नाम रौशन कर सके।
बाल दिवस पर बच्चों को सिखाएं ये 5 बातें
बच्चों को समझाएं जिम्मेदारी का अर्थ - भले ही बच्चों को आप किसी चीज की कमी न होने दें लेकिन, उन्हें जिम्मेदारी का एहसास कराना न भूलें। बचपन से ही अगर बच्चों को छोटे-मोटे काम के प्रति, घरवालों के प्रति जिम्मेदारी का एहसास कराया जाए तो बच्चे बड़े होकर बिना बोलें हर जिम्मेदारी खुद लेंगे। ऐसा नहीं करने पर, बड़े होने के बाद बच्चे आपकी कभी नहीं सुनेंगे और न ही किसी की इज्जत करेंगे।
बच्चों को सिखाएं सही-गलत में फर्क - बचपन से हर छोटी-बड़ी बात में सही-गलत में फर्क सीखाना बच्चों के लिए बेहद जरूरी है। आप जैसा उन्हें समझाएंगें वो अपने फैसले उसी अनुसार ही लेंगे। जैसे अगर किसी से लड़ाई हो तो क्या सामने वाले को मारने लगना है या बात सुलझाने की कोशिश करनी है। अगर कोई उन्हें बेमतलब तंग करें तो क्या उन्हें सहते रहना है या उन्हें अपने बड़ों से इसके बारे में बताना है। ऐसी छोटी-छोटी बातों पर आप बच्चों को जिस तरह फैसला लेना सिखाएंगे, आपका बच्चा बड़े होकर भी उसी तरह फैसला लेगा।
बच्चों को बताएं उनकी गलतियाँ और उनका सुधार - बच्चे अगर पहली बार गलती करें तो उनहें बेशक माफ कर दें लेकिन उन्हें समझाएं जरूर कि उन्होनें गलती की है और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। अगर बच्चे गलती बार-बार दोहराते हैं तो उनके लिए कोई ऐसी सजा तय करें जो उनके दिल को ठेस न पहुंचाएं। बच्चों को मारना, बाथरूम में बंद कर देना या ऐसी कोई भी सजा ठीक नहीं होती। इससे बच्चे और जिद्दी बनते हैं और धीरे-धीरे आपसे नफरत भी करने लग जाते हैं।
इससे बेहतर है उन्हें डबल होमवर्क, बार-बार सॉरी लिखने जैसी सजा दें या उनके खेलने के टाइम में उन्हें पढ़ाई करने को कहें। ऐसा करने से बच्चे बेहतर ढंग से अपनी गलती सुधारते हैं।
बच्चों को सिखाएं विनम्र रहना - आप घर और बाहर में लोगों से जैसे व्यवहार करेंगे आपके बच्चे भी वही सीखेंगे। खुद भी सबसे प्यार से बात करें और बच्चों के सामने कभी लड़ाई न करें। बड़ों से और छोटों से कैसे बात करनी है उन्हें सिखाएं।
आज के समय में बच्चे, मां-बाप को लड़ते हुए देखते हैं और उसी बत्तमीजी से वे औरों से भी बात करते हैं। बच्चों को ये भी जरूर सिखाएं कि जो इज्जत वो एक अमीर इंसान को देते हैं, वही इज्जत उन्हें गरीब व्यक्ति को भी देनी चाहिए।
बच्चों को सिखाएं प्यार की ताकत - बच्चों को सिखाएं कि जिंदगी में पहला विकल्प हमेशा प्यार होना चाहिए। प्यार से किसी का मन भी जीता जा सकता है। प्यार हमेशा इंसान के लिए नहीं बल्कि जानवर के लिए, अपने काम के लिए हर किसी के प्रति होना चाहिए। अगर आप बच्चों को प्यार से रहना सिखाएंगे, तो ये प्यार सबसे पहले आपको ही वापस मिलेगा।
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