भारत की आज़ादी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली महिलाएं
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भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी बलिदान दिया था। हालांकि ये बात अलग है कि पुरुष प्रधान समाज होने के कारण महिलाओं को आजादी के आंदोलन का उतना श्रेय नहीं मिल पाया। लेकिन फिर भी ऐसी कई महिलाएं है जिनका योगदान और बलिदान भुलाया नहीं जा सकता। आज हम आपको भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली महिलाओं के बारे में बताने जा रहे है जो उस जमाने में समाज की बेड़ियां तोड़कर आजादी की लड़ाई में शामिल हुई थी।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली महिलाएं -
1. रानी लक्ष्मीबाई
आजादी की लड़ाई में अपना सब कुछ दांव पर लगाने और न्यौछावर करने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है। रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को हुआ था। जबकि उनकी मृत्यु 18 जून 1858 को हुई थी। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की पहली लड़ाई 1857 की क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई ने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था। उन्होंने सिर्फ 29 वर्ष की आयु में झांसी का साम्राज्य संभाला और अंग्रेजी सेना से युद्ध किया। इस लड़ाई में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई।
2. विजया लक्ष्मी पंडित -
विजया लक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 को गांधी-नेहरू परिवार में हुआ था। वे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहन थी। विजया लक्ष्मी पंडित ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपना अमूल्य योगदान दिया था। महात्मा गांधी से प्रभावित होकर उन्होंने आजादी के आंदोलनों में भाग लिया था। वे हर आंदोलन में सबसे आगे रहती थी, जेल जाती थी और रिहा होते ही फिर से आंदोलनों की तैयारियों में जुट जाती थी। वे केबिनेट मंत्री बनने वाली भारत की पहली महिला भी थी। 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली वे विश्व की पहली महिला थी। इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का उन्होंने खुलकर विरोध किया था और कांग्रेस छोड़कर जनता दल में शामिल हो गईं थी। 1 दिसंबर 1990 को देहरादून में उनका निधन हुआ था।
3. डॉ. एनी बेसेंट -
एनी बेसेंट भारतीय मूल की नही थी लेकिन भारत में रहकर उन्होंने एक भारतीय होने का फर्ज निभाया था। एनी बेसेंट का जन्म 1 अक्टूबर 1847 में लंदन के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। 1893 में एनी बेसेंट भारत आई थी। उस समय भारत में अंग्रेजों की क्रूरता और दमनकारी नीतियों के चलते एनी के मन में भारतीयों के अधिकारों की लड़ाई के लिए खड़े होने की भावना पैदा हुई। इस दौरान एनी ने थियोसोफिकल सोसाइटी और भारतीय होम रूल आंदोलन में विशिष्ट भूमिका निभाई। उन्होंने महिलाओं को वोट देने जैसे अधिकारों के लिए ब्रिटिश शासकों को लगातार पत्र लिखे। साल 1917 में एनी बेसेंट को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। वे कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थी। 20 सितंबर 1933 को चेन्नई में उनका निधन हुआ था।
4. अरुणा आसफ अली -
अरुणा आसफ अली का जन्म बंगाली परिवार में 16 जुलाई 1909 को हरियाणा, तत्कालीन पंजाब के कालका में हुआ था। शिक्षिका बनकर उन्होंने कलकत्ता में अध्यापन कार्य भी किया था। बाद में अरुणा आसफ अली ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1930, 1932 और 1941 में वे व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय जेल भी गईं। उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गांधी जी और अन्य नेताओं की गिरफ्तारी के बाद वे तुरंत मुंबई गई और गोवालीया मैदान में विरोध सभा आयोजित कर ब्रिटिश सरकार को खुली चुनौती दी थी। इस दौरान उन्होंने झंडा भी फहराया था। आजादी मिलने के बाद वे भारतीय राजनीति में सक्रिय रहीं। उनका निधन 29 जुलाई 1996 को हुआ था।
5. मैडम भीकाजी कामा -
मैडम भीकाजी कामा अथवा मैडम कामा का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में विशेष उल्लेखनीय योगदान रहा है। मैडम कामा भारतीय मूल की पारसी नागरिक थी। उनका जन्म मुंबई में 24 सितंबर 1961 को हुआ था। मैडम कामा ने लंदन, जर्मनी और अमेरिका का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में अंतरराष्ट्रीय माहौल बनाया था। मैडम कामा सातवीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में तिरंगा फहराने के लिए सुविख्यात है। उस समय तिरंगा वैसा नहीं था जैसा उसका वर्तमान स्वरूप है। मैडम कामा भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपने क्रांतिकारी विचारों को अपने समाचार पत्र 'वंदेमातरम्' और 'तलवार' में प्रकट करती थी। उनके सहयोगी उन्हें भारतीय क्रांति की माता मानते थे। जबकि ब्रिटिश साम्राज्य के लिए वे एक कुख्यात महिला, खतरनाक क्रांतिकारी थी। उनका निधन 13 अगस्त 1936 को हुआ था।
6. सरोजिनी नायडू -
भारत की 'कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। 14 वर्ष की उम्र तक उन्होंने सभी अंग्रेजी कवियों की रचनाओं का अध्ययन कर लिया था। उनकी प्रतिभा को देखते हुए 1895 में हैदराबाद के निजाम ने उन्हें वजीफे पर पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेजा था। उन्हें इंग्लिश, बंगला, उर्दू, तेलुगु और फारसी भाषा का ज्ञान था। सरोजिनी नायडू ने भारत की स्वतंत्रता के लिए कई आंदोलनों में सहयोग दिया था। जलियांवाला बाग हत्याकांड से दुखी होकर उन्होंने 'कैसर-ए-हिन्द' का सम्मान लौटा दिया था। भारत छोड़ो आंदोलन में वे जेल भी गईं थी। उनका निधन 2 मार्च 1949 को हुआ था।
7. बेगम हजरत महल -
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली बेगम हजरत महल का जन्म 1820 में फैजाबाद में हुआ था। वे अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी थी। ब्रिटिश शासन द्वारा कलकत्ता में नवाब वाजिद अली के निर्वासन के बाद उन्होंने लखनऊ पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने 1857 की क्रांति में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका निधन 1879 में हुआ था। वे नेपाल में शरणार्थी थी।
8. सुचेता कृपलानी -
सुचेता कृपलानी का जन्म पंजाब के अंबाला शहर में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में 28 जून 1908 को हुआ था। सुचेता ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपना योगदान दिया था। उन्होंने विभाजन के दंगों के दौरान महात्मा गांधी के साथ रहकर कार्य किया था। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के कारण उन्हें 1 साल के लिए जेल भी जाना पड़ा था। उन्होंने 1940 में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की स्थापना की। 1946 में वे संविधान सभा की सदस्य चुनी गई। जबकि 1949 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रतिनिधि के रूप में चुना गया था। बाद में वे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री भी बनी। उनका निधन 1 दिसंबर 1974 को हुआ था।
नोट : सभी फोटो का स्त्रोत Wikipedia है।
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