अपने बेटे को बचपन से सिखाएं ये पांच चीज़ें
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जीवन का पाठ हमारे बच्चों के लिए केवल स्कूल से ही शुरू नहीं होता है। उन्हें घर से ही चीज़ें और बेहतर सीख देने की ज़रुरत होती है। बच्चे मन के काफी सच्चे होते हैं, और घर का माहौल उनके व्यवहार और रवैये में काफी अहम भूमिका निभाता है। बच्चा जो सुनता व देखता है, उसे सबसे पहले अपने आचरण में अपनाता है। इस कारण यदि आपका बेटा छोटा है तो उसे बचपन से ही जीवन के कुछ पाठ से रूबरू कराना बेहद ज़रूरी है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि बदलाव, सम्मान और नैतिक मूल्यों की शुरुआत हमारे अपने घर से ही होती है, क्यों सिर्फ लड़कियों को उनकी हद के बारे में पढ़ाया जाता है, लड़कों को क्यों नहीं? यह सवाल बहुत सारी लड़कियों के मन में आता है। आइए इस ब्लॉग में जानते हैं कि हम अपने बेटे को बचपन से कौन सी पांच अच्छी बातें सीखा सकते हैं।
ईमानदारी
अपने बच्चे में सच्चाई व ईमानदारी वाले आचरण को अपनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप खुद एक सच्चे व्यक्ति बनें। अगर आपका बच्चा आपसे झूठ बोलता है तो ओवररिएक्ट न करें। इसके बजाय, उसे सच्चाई बताने का तरीका खोजने में मदद करें। माता-पिता होने के नाते हम बच्चों को अक्सर डांटते हैं। कभी-कभी हम उनकी प्रशंसा नहीं करते हैं। उनकी हर छोटी बात की सराहना करें। अपने बच्चों को सिखाएं कि उन्हें झूठी तारीफ नहीं करनी है। यदि उनके पास कहने के लिए दयालु शब्द नहीं है, तो उन्हें सिखाएं कि कैसे अपने शब्दों को नियंत्रित करें और कुछ न कहें। हालांकि, हमें हमेशा किसी के बारे में कहने के लिए कुछ सकारात्मक खोजने में सक्षम होना चाहिए।
गुड और बैड टच
सबसे पहले, यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चे के साथ हल्के और आसान शब्दों में बात करें जिसे वे समझेंगे। यदि आपको लगता है आप सही भाषा का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं तो आप कुछ बुक्स और वीडियो की मदद ले सकते हैं। अपने बच्चे को बताएं कि वे नहीं या रुको या मुझे ये पसंद नहीं है या मुझे मत छुओ या ऐसा कुछ भी कह सकते हैं। उन्हें यह भी बताएं कि वे भाग सकते हैं। रोल प्ले के साथ इसका अभ्यास करा सकते हैं। गुड और बैड टच के बारे में लड़कियों को ही नहीं बल्कि लड़कों को भी पता होना चाहिए।
महिलाओं का सम्मान करें
सभी लोग सम्मान, दया और करुणा के पात्र हैं। जब यह मूल्य आपके बेटे को कम उम्र से सीखाया जाता है, तो वह इन गुणों को सामान्य मानवीय शिष्टाचार के रूप में देखेगा, जो किसी लिंग के लिए विशिष्ट नहीं है। जैसे-जैसे वह बड़ा होता है, यह शुरुआती पाठ उसे सभी लोगों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने में मदद करेगा, भले ही उससे कोई मतभेद न हो। अपने बेटे को लड़के-लड़कियों से दोस्ती करना सिखाएं। दोस्ती विकसित करना और बनाए रखना बच्चों को सिखाता है कि किसी और की कंपनी का आनंद कैसे लें, दूसरों की पसंद, नापसंद और राय को स्वीकार करें और इसके साथ ही वह समझौता करना सीख पाएंगे। दोस्ती दूसरों की देखभाल और सपोर्ट करने का अवसर प्रदान करती है, जो भविष्य के संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है और उनके साथ दोस्ती बनाने से वह उन्हें बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।
शेयरिंग इज़ केयरिंग
शेयरिंग इज़ केयरिंग एक महत्वपूर्ण चीज़ है जो तब काम आती है जब बच्चे अन्य बच्चों के साथ खेलते और सीखते हैं। यह सहानुभूति और हमदर्दी के बीज बोता है और एक व्यक्ति में सामाजिक तौर पर शामिल होने वाली आदत को बढ़ावा देता है। साझा करने की आदत को बढ़ाने में कई साल लग सकते हैं। कहा जाता है कि अगर कोई किसी अन्य व्यक्ति के साथ कुछ साझा करता है, तो इसका मतलब है कि वे उस व्यक्ति की परवाह करते हैं। शेयरिंग करना उन बच्चों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है जो अपने खिलौने को कहते हैं कि बस ये मेरा है! ऐसे में बेहद ज़रूरी है कि उस वक्त में उसपर ज्यादा जबरदस्ती चीज़ें न थोपें, उन्हें शेयर करने के लिए मजबूर न करें। इसके बजाय, एक ऐसा वातावरण बनाएं जो शेयर करने को बढ़ावा देता है। अपने बच्चे के उस चीज़ या खिलौने के अधिकार का सम्मान करें जिसे वे कीमती मानते हैं।
दूसरों की मदद करें
माता-पिता के रूप में, आप अपने बच्चों को दूसरों की मदद करना सिखाएं। लंबे वक्त से ही लड़कियों को घर के कामों में उलझा दिया जाता है। ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि आप अपने बेटे को भी घर में छोटे-मोटे काम करना सिखाएं। उन्हें आप दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करें। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप अपने बच्चे को दूसरों की मदद करना सिखा सकते हैं। आप घर में हल्के कामों से शुरुआत करें या फिर उन्हें बुजुर्ग पड़ोसियों को काम में कैसे मदद करें, उनकी चीजों में हाथ बटाने को कहें। उम्र के साथ जब बच्चा बड़ा होता है तो इससे उसे ये समझने में भी मदद मिलती है कि उनके दोस्त या किसी अपने को कब मदद की ज़रूरत है। जिन लोगों को आपका बच्चा नियमित रूप से देखता है व जिनसे मिलता है उनकी मदद करने से उन्हें समुदाय की भावना बनाने में मदद मिलेगी और यह देखने में मदद मिलेगी कि कैसे मददगार होना साधारण लोगों को प्रभावित करता है।
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