लड़का-लड़की में न करें फर्क, बचपन से सिखाएं ये 5 जरूरी बातें!
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हम सभी अक्सर मेहमानों के घर पर जाते ही हैं या अगर फिर मेहमान हमारे घर आते हैं। ऐसे में तो एक चीज आपने जरूरी देखी होगी। ये चीज है कि अक्सर लड़कियों से ही कहा जाता है चाय बनाने को या फिर लड़कों से ही कहा जाता है बाहर से धनिया लाने को!
वैसे तो ये बात काफी सामान्य है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि लड़का और लड़की में फर्क का, यह भी एक उदाहरण है। हम आज के समय में बेटे-बेटी में फर्क सुनकर अपनी दलीलें बड़ी आसानी से दे देते हैं, लेकिन इस बात को स्वीकार करना कि ये फर्क घर से शुरू होता है, हममें से काफी लोगों के लिए मुश्किल है।
अगर शुरू से ही बच्चों पर ध्यान दिया जाए और छोटी-बड़ी बातों का ख्याल रखा जाए तो भविष्य में होने वाले इस फर्क को आप आज ही खत्म कर सकते हैं। इसके साथ ही आगे चलकर अपने बच्चों को कंधे-कंधा मिलाकर चलते हुए भी देख सकते हैं।
बेटे-बेटी में बचपन से रखें समानता कुछ इस तरह : -
घर के काम दोनों को बराबर सिखाएं : -
जब आपके बच्चे छोटे हों उस वक्त से ही यह ठान लें कि चाहे कुछ भी हो जाए आप अपने बच्चों से ये नहीं कहेंगे कि कौन-सा काम लड़की का होता है और कौन-सा काम लड़के का होता है। अगर आप खाना बनाना लड़की को सिखाते हैं तो लड़के को भी सिखाएं। वहीं गाड़ी चलाना अगर लड़के को सिखाते हैं तो लड़की को भी सिखाएं। इससे बच्चे हर तरह के काम के प्रति अपनी बराबर की जिम्मेदारी समझेंगे।
कई घरों में कुछ खास काम लड़की को करने हो कहे जाते हैं और लड़का उनमें दिलचस्पी दिखाएं तो सब उसे ऐसे देखते हैं जैसे उसमें लड़की के गुण हैं। सबसे पहले तो आपको इस सोच से ऊपर उठना होगा। मेकअप से लेकर सिलाई और खाना बनाने तक लड़के के पसंदीदा काम भी हो सकते हैं। इसलिए किसी भी काम पर लड़का या लड़की का टैग लगाने से पहले सौ बार सोच लें।
गलती से भी कभी अपने पार्टनर पर हाथ न उठाएं : -
घरेलू हिंसा आज भी देश में आम बात है। लेकिन अगर आपको इससे बचना है तो सबसे पहले शुरुआत अपने घर से करनी होगी। बच्चे जो देखते हैं वही सीखते हैं। अगर लड़का देख रहा है कि उसके पिता, उसकी माँ को थप्पड़ मार रहें हैं या जोरों से चिल्ला रहें हैं तो फिर आगे जाकर आपका लड़का भी ये कर सकता है। वहीं अगर ये सब लड़की देखती है तो कल को अपनी माँ की तरह वो भी घरेलू हिंसा को आम बात समझ लेगी और बिना कुछ बोले सहती रहेगी।
एक-दूसरे की इज्जत करना सिखाएं : -
बेशक हमारे देश में लड़कियों को अपनी सुरक्षा के लिए ज्यादा सचेत रहना पड़ता है। ऐसे में बचपन से ही अपने लड़के को, लड़कियों की इज्जत करना सिखाएं। वहीं लड़कियों को अपने लिए लड़ना सिखाएं। आप अपने घर की महिलाओं से और पुरुषों से अच्छा व्यवहार करें ताकि आपका बच्चा भी इसी रूप में ढल सके।
लड़कियों को यह भी सिखाना जरूरी है कि उन्हें भी लड़कों की भी उतनी ही इज़्जत करनी चाहिए जितना वो उनसे उम्मीद करती हैं। आज कल के नकली नारीवाद ने कई लड़कों की जिंदगियाँ बिगाड़ दी हैं। ऐसे में जितना लड़के को लड़की की इज़्जत करना सिखाना जरूरी है, उतना ही लड़की को लड़के की इज्जत करना सिखाना भी जरूरी है।
सिर्फ लड़की के आने-जाने पर पाबंदी न लगाएं : -
हो सकता है कि लड़की के बाहर जाने पर आपको उसकी चिंता अधिक हो, लेकिन चिंता भी तो सड़क पर घूम रहे लड़कों के कारण ही होती है। लड़कों के भी देर तक बाहर रहने पर पाबंदी हो तो आधे अपराध तो ऐसे ही खत्म हो जाएंगे। इसलिए दोनों के लिए नियम एक जैसे रखें, अब चाहे हो वो बाहर जाने के लिए हो, शादी के लिए हो, प्यार के लिए हो या फिर किसी और चीज के लिए।
शिक्षा में कोई फर्क न करें : -
आप कई लोगों को देखेंगे जो अपने लड़के का दाखिला को शहर के सबसे अच्छे स्कूल में कराना चाहते हैं, लेकिन लड़की का दाखिला किसी सामान्य या सरकारी स्कूल में कराना ही सही समझते हैं। ऐसा करना बिल्कुल गलत है, हो सकता है पढ़ने में लड़के से अधिक होशियार लड़की हो। दसवीं तक की पढ़ाई दोनों बच्चों की एक ही स्कूल में कराएं और फिर इसके बाद उनके पसंद के फील्ड में उन्हें आगे बढ़ने दें।
सारांश
लड़का-लड़की या बेटे-बेटी में फर्क करना आज के दौर में भी भारत में सामान्य है। ऐसे में अक्सर लड़कियां काबिलियत रखते हुए लड़कों से काफी पीछे रह जाती हैं। आज के माँ-बाप को अगर ये स्थिति बदलनी है तो उन्हें ये बदलाव अपने घर से लाना होगा। आज ही लड़के और लड़की में फर्क करना बंद कर के दोनों को एक जैसी परवरिश दें। ताकि बड़े होने पर वो इस भिन्नता से कहीं आगे निकल सके।
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