छात्राओं और बालिकाओं की शिक्षा के लिए सरकारी योजनाएं और कदम!
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भारत देश में वर्षों से सरकार बालिकाओं और छात्राओं की शिक्षा के लिए नई-नई योजनाएं लागू करती रहती हैं। सरकार की भरपूर कोशिश होती है कि ये योजनाएं देश की हर बालिका और छात्रा तक पहुँचें।
देश में अब तक शिक्षा और जनसंख्या के मामले में लड़कियाँ, लड़कों से पीछे हैं। लड़कियों को बराबरी में लाने के लिए, कन्या शिक्षा पर अधिक ध्यान देने के लिए, बाल-विवाह को रोकने के लिए सरकार अपना भरपूर प्रयास करने में जुटी रहती हैं।
आज हम भारत सरकार द्वारा बालिकाओं और छात्राओं की शिक्षा के लिए बनाई गई विभिन्न योजनाओं और कदमों के बारे में चर्चा करेंगे।
छात्राओं और बालिकाओं की शिक्षा के लिए सरकारी योजनाएं और कदम निम्न हैं : -
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना : -
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की नींव रखी थी। इसकी शुरुआत हरियाणा से की गई थी। इस योजना का उद्देश्य था लिंग पक्षपात के नाम पर हो रहे भ्रूण-हत्या को समाप्त करना और बेटियों की शिक्षा पर ध्यान देना।
इस योजना की मदद से भारत देश में जन्मी हर लड़की की प्राथमिक शिक्षा का खर्च केंद्र सरकार काफी हद तक उठाने का प्रयास करती है। इस योजना के तहत कई बालिकाओं ने अपनी प्राथमिक शिक्षा हासिल की है।
योजना का लाभ उठाने की शर्तें : -
- बालिका की उम्र कम-से-कम 10 वर्ष होनी चाहिए।
- लड़की का जन्म भारत देश में होना चाहिए।
- किसी भी बैंक में बालिका के नाम से सुकन्या समृद्धि एकॉउंट होना चाहिए।
- सीबीएसई उड़ान स्कीम :-
सीबीएसई और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक जुट होकर सीबीएसई उड़ान स्कीम को शुरू किया था। इस स्कीम का उद्देश्य है देश के सर्वोच्च और प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग और तकनीकी कॉलेज में बालिकाओं के दाखिले की संख्या को बढ़ाना।
इस योजना के तहत सरकार छात्राओं 11वीं और 12वीं की तैयारी के लिए निशुल्क सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं जैसे कि ट्यूटोरियल वीडियोज़।
इसके साथ ही योग्य छात्राओं को बेहतर से बेहतर मौके देने में भी सरकार पूरी मदद करती है। इसके अलावा टोल-फ्री नंबर पर छात्रा की पढ़ाई और करियर से जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान भी बताया जाता है।
योजना का लाभ उठाने की शर्तें : -
- आवेदक को 10वीं में कम-से-कम 70% अंक आने चाहिए।
- आवेदक गणित और विज्ञान में कम-से-कम 80% अंक आने चाहिए
- आवेदक की नागरिकता भारत की होनी चाहिए।
- बालिका समृद्धि योजना
बालिका समृद्धि योजना के तहत जो बालिकाएं गरीबी रेखा से रहने वाले परिवार से ताल्लुक रखती हैं, सरकार वित्तीय तौर पर उनकी मदद करती हैं।
योजना के अनुसार बालिका के जन्म के वक्त माँ को 500 रूपए की धन-राशि दी जाती है। इसके बाद जब बालिका का दाखिला स्कूल में होता है, उस वक्त भी छात्रा को 300 से 1000 रूपए तक की धन-राशि वार्षिक रूप से मिलती है। जब छात्रा 18 वर्ष की हो जाएगी, उसके बाद वह अपने बैंक खाते में बचे शेष रुपयों को निकाल सकती है।
योजना का लाभ उठाने की शर्तें : -
- बालिका का गरीबी रेखा के नीचे होना आवश्यक है।
- बालिका का जन्म 15 अगस्त 1997 या इसके बाद होना चाहिए।
- बालिका की नागरिकता भारतीय होनी चाहिए।
- सुकन्या समृद्धि योजना :-
बालिकाओं के माता-पिता के लिए सुकन्या समृद्धि योजना एक सेविंग एकाउंट की तरह है। 10 साल या इससे कम उम्र की बालिका के भविष्य लिए सरकार माता-पिता धन-राशि प्रदान करती है।
इस योजना के तहत बच्ची की पढ़ाई और उसकी शादी के खर्च के लिए सरकार अलग से पैसे जमा करने में मदद करती है।
योजना का लाभ उठाने की शर्तें : -
- बच्ची की उम्र 10 वर्ष या इससे कम होनी चाहिए।
- नागरिकता भारत की होनी चाहिए।
- योजना नवजात बच्ची के लिए भी है, स्कीम के लिए अप्लाई बच्ची के 10 साल तक के होने तक किया जा सकता है।
ऊपर बताई गई योजनाओं के अलावा भी हर राज्य में सरकार छात्राओं और बालिकाओं के लिए अलग-अलग स्कीम चलाती हैं। मूल रूप से हरियाणा, बिहार जैसे राज्यों में ऐसी स्कीम ज्यादा लाई जाती हैं, जहां बालिकाओं की शिक्षा और जीवनयापन में अधिक सुधार की गुंजाइश होती है।
बिहार में मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना, हरियाणा में लाडली स्कीम, मध्यप्रदेश में लाडली लक्ष्मी योजना, महाराष्ट्र में माजी कन्या भाग्यश्री योजना आदि जैसी कई अलग-अलग योजनाएं बालिकाओं के हित में सुचारु रूप से चल रही हैं। इन योजनाओं के कारण आज देश में लड़कियां अब लड़कों से कंधे-से-कंधा मिलाकर चल रही हैं।
सारांश
अनेक विविधताओं से भरे भारत देश ने लंबे समय तक बेटियों को लड़ाई लड़ते हुए देखा है। आजादी के बाद से कन्याओं के कल्याण के लिए केंद्र सरकार से लेकर सरकार कई तरह की योजनाएं लेकर आती रही हैं ताकि देश में बालिकाओं की शिक्षा पर अधिक से अधिक ध्यान दिया, लिंग पक्षपात के नाम पर भ्रूण-हत्या के मामले कम हो, 18 वर्ष से पहले किसी बेटी को ब्याहा न जाए।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, कन्या सुरक्षा जैसे लाखों योजनाओं के शुरू होने आज देश में बेटियों की दशा-दिशा पहले से काफी अच्छी है और समय के साथ और अच्छी होने की उम्मीद है।
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