एक नई माँ के लिए कुछ खास बातें (बच्चे के पहले तीन महीने)
6 minuteRead
बच्चे के पहले तीने महीनों में माँ के ध्यान रखने योग्य बातें
माँ बनना किसी दूसरे जन्म के जैसा ही तो है। आपके बच्चे का पहली बार रोने से लेकर पहली बार आपको गले लगने तक का एहसास दुनिया में शायद सबसे खूबसूरत है। माँ की जिंदगी में एक बच्चे का आना जितना ही सुखद लगता है, उतने ही अनगिनत सवालों से भरा भी होता है। नन्हीं-सी जान का ख्याल रखने के साथ-साथ, एक माँ को अपना भी उतना ही ख्याल रखना होता है।
बच्चे के जन्म के बाद शुरुआत के तीन महीने आपकी जिंदगी में खुशियां और कई उलझनें भी ला सकते हैं। रोते हुए बच्चे को देखकर आप परेशान हो सकते हैं, समझने की कोशिश कर सकते हैं कि आपका बच्चा आपसे क्या कहना चाहता है। आपके मन में ढेरों सवाल हो सकते है।
आइए देखते हैं कि बच्चे के जन्म के बाद पहले तीन महीने आपको किन बातों का ख्याल रखना चाहिए!
बच्चे के पहले तीन महीने में रखें बच्चे का ख्याल
बिताऐं बच्चे के साथ वक्त : हार्मोन्स के उतार-चढ़ाव के कारण आप बच्चे को लेकर जल्द ही परेशान हो सकती हैं। ऐसे में याद रखें आपके मूड स्विंग्स आपपर हावी हो सकते हैं। बच्चे के साथ ज्यादा-से-ज्यादा वक्त बिताऐं। नन्हें शिशु से अपनी मन की बातें कहें। ऐसे में बच्चा आपसे जुड़ाव महसूस करेगा और आपको भी अच्छा महसूस होगा!
डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चे का उपचार न करें : बच्चे के पेट में दर्द हो या उसे बुखार हो, कभी भी अपने मन से या किसी घर वाले के कहने पर उसे दवा न दें। घरेलू उपाय तो भूलकर भी न करें। कई चीजें जिसे आप आम समझते हैं बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
बच्चे को रखें सुरक्षित : यहाँ बच्चे को सुरक्षित रखने का मतलब ये नहीं है कि बच्चे को गिरने से या चोट लगने से बचाना! यहां इसका मतलब यह भी है कि नवजात शिशु की आंखों में काजल लगाना, उसकी नाक में देसी घी डालना आदि से बचें। पुराने जमाने की चीजें बच्चे के लिए सुरक्षित हैं ऐसा जरूरी नहीं होता। कुछ भी करने से पहले डॉक्टर से जरूर बात कर लें।
ब्रेस्ट फीडिंग से न घबराएं : नवजात शिशु को हर दो घंटे में भी भूख लग सकती है। भूख से बच्चे के बार-बार रोने पर घबराएं नहीं। अन्य कुछ लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से सलाह लें।
बच्चे की मालिश जरूर करें : कुछ देर धूप में रखकर बच्चे की मालिश जरूर करें। तेल का चुनाव आप डॉक्टर की सलाह से कर सकती हैं। ज्यादा देर के लिए बच्चे को धूप में न छोड़ें।
बच्चे को रखें उचित तापमान में : माँ के गर्भ से आने के बाद बच्चे को लपेटकर रखा जाता है। ऐसा इसीलिए होता है कि बच्चे को माँ के गर्भ जैसा महसूस हो। ठंड के मौसम में बच्चे को अच्छी तरह ढँककर रखें।
डायपर चेंज करें नियमित रूप से : बच्चे की त्वचा काफी कोमल होती है। शुरुआती समय में अधिक देर के लिए बच्चे को डायपर पहना कर न छोड़ें। समय-समय पर बच्चे का डायपर चेक करती रहें।
ठोस आहार बिल्कुल न दें : बच्चे को ठोस आहार 6 महीने पूरे होने के बाद ही देना चाहिए। इससे पहले माँ के दूध के अलावा बच्चे को कोई अन्य आहार नहीं देना चाहिए।
कोरोना के समय में रखें खास ध्यान : छोटे बच्चे काफी सेंसिटिव होते हैं। ऐसे में कोरोना को ध्यान में रखते हुए बच्चे को अत्यधिक सुरक्षा में रखें। किसी के हाथ में भी बच्चे को न दें। कहीं कुछ बाहर आपने छू लिया तो बच्चे को लेने से पहले हाथ साफ करें।
बच्चे को रोता हुआ न छोड़ें : कई बार नींद की कमी के कारण या बच्चे के रोने को नॉर्मल समझकर, माँ-बाप बच्चे को रोता हुआ छोड़ सकते हैं। ऐसा करना सही नहीं है। आपका बच्चा बोल नहीं सकता न अपनी परेशानी समझा सकता है। ऐसे में धैर्य रखते हुए बच्चे को चुप कराने का प्रयास करें। अगर बच्चा चुप न हो तो आप डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं।
बच्चे के पहले तीन महीने में रखें खुद का भी ख्याल
बच्चे के साथ-साथ नई माँ को खुद का ख्याल् रखना भी जरूरी होता है। ऐसा करके असल में आप बच्चे का ही ख्याल रख रही होती हैं।
सोच-समझकर और पौष्टिक खाना खाएं : बच्चे को ब्रेस्टफ़ीड कराने के दौरान आप जो खाती हैं उसी खाने से बने दूध को बच्चा भी पीता है। ज्यादा ठंडा खाने पर बच्चे को जुकाम हो सकता है और ज्यादा तीखा खाने पर बच्चे का पेट खराब हो सकता है। ऐसे में सबसे बेहतर होता है सादा और पौष्टिक खाना खाना।
किसी अनुभवी की लें मदद : सारी जिम्मेदारियाँ खुद ही न लें। खुद के आराम के लिए भी समय निकालें। कुछ समय के लिए बच्चे को परिवारवालों के साथ खेलने दें। नानी-दादी से भी बच्चे को लगाव होने दें।
ध्यान करें : शुरुआत के महीनों में आपको काफी मूड स्विंग हो सकते हैं। ऐसे में आप ध्यान कर सकती हैं या कुछ समय के लिए पार्क में टहल सकती हैं।
जब जरूरत लगे डॉक्टर से मिलें : प्रसव के बाद शारीरिक या मानसिक परेशानी को अनदेखा न करें। बच्चे के जन्म के बाद माँ को पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने का भी खतरा होता है। मन अधिक विचलित रहें तो डॉक्टर से जरूर मिलें।
पार्टनर की लें मदद : बच्चे को संभालने के लिए या अपनी मन की कोई बात शेयर करने के लिए अपने पार्टनर की मदद जरूर लें।
Write, Record and Answer! Consume Unlimited Content! All you need to do is sign in and its absolutely free!
Continue with one click!!By signing up, you agree to our Terms and Conditions and Privacy Policy.