कैसे सेना में महिलाएं देश को गौरवान्वित कर रही हैं!

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सेना में होने के जज्बा और हिम्मत बहुत चाहिय होती है। लेकिन एक समय पर यह सिर्फ पुरुषों का स्थान होता था। धीरे-धीरे कई महिला सेनानियों ने सेना के अलग-अलग हिस्सों में अपनी जगह कायम की और हजारों महिलाओं को यह सपना देखने के लिए प्रोत्साहित किया। आज के तारीख में सेना विभिन्न पदों पर हजारों से भी अधिक महिलाएं कार्यरत हैं और लगातार नए मुकाम हासिल कर रहीं हैं।



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देश के जवानों का नाम आते ही हम सब के मन में एक गौरव का भाव आता है। लेकिन जब बात महिला सेनानियों की हो तब ये गौरव और भी अधिक हो जाता है। आज के समय में कई महिला सेनानियाँ पुरुषों के कंधे-से-कंधा मिलाकर देश के हित और रक्षा के लिए काम कर रहीं हैं। 

आज के समय में महिलाओं के लिए सेना को अपने भविष्य के रूप में चुनना आसान इसलिए हो पाया है क्योंकि यहाँ तक रास्ता कुछ महिला सेनानियों ने पहले ही साफ कर दिया है। उनके लिए ये रास्ता कभी आसान नहीं था। 

आज हम आपको देश की ऐसी ही कुछ चुनिंदा महिलाओं के बारे में बताएंगे जिन्होनें अपने साहस और जज्बे से देश में अपना नाम बनाया है। इसके साथ ही आज की तारीख में ये जाबाज महिलाएं कई अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल की तरह उभरकर आईं हैं। 

women in army

सेना में महिलाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला : - 

17 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने सेना की महिला अधिकारियों के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि सेना में जुड़ी सभी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाएगा, यानि कि वह रिटायरमेंट तक नौकरी कर पाएंगी। इसके साथ ही महिला अधिकारियों को उनकी योग्यता के आधार पर कमांड यानी नेतृत्व वाले पद भी दिए जाएंगे। 

इससे पहले महिलाओं को कमांडिंग पोजीशन न के बराबर दिए जाते थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने सेना से जुड़ी कई महिलाओं के लिए रास्ता साफ कर दिया है। इस मुहिम की पहल वायु सेना के शॉर्ट सर्विस कमिशन से रिटायर हुई 32 महिला अधिकारियों ने की थी। 12 सालों के उनका ये प्रयास आखिरकार रंग लाया था। आज की तारीख में कई महिला सेनानियाँ कमांडिंग पोजीशन पर कार्यरत हैं। 

इतिहास रचने वाली कुछ महिला सेनानियों की कहानी : - 

पुनीता अरोड़ा

पुनीता अरोड़ा (पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल)

आज नौसेना में कई महिला अधिकारी कार्यरत हैं। लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने वाली पहली महिला पुनीता अरोड़ा ही रहीं। साल 2004 में भारतीय नौसेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर पुनीता अरोड़ा को चुना गया था। वे सेना के लिए 36 साल तक कार्य करती रहीं और इस दौरान कुल 15 पदक प्राप्त किए।

दिव्या अजित कुमार

दिव्या अजित कुमार (स्वॉर्ड ऑफ ऑनर प्राप्त पहली महिला कैडेट)

21 साल की छोटी सी उम्र में सेना की स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल करने वाली सबसे पहली महिला कैडेट का नाम दिव्या अजित कुमार है। कप्तान दिव्या अजित कुमार को 2010 के सितंबर महीने में सेना के वायु रक्षा कोर में नियुक्त किया गया था। उनके इस पद ने कई और महिलाओं को सेना में जुडने के लिए प्रेरित किया था। 

अभिलाषा बारक

अभिलाषा बारक (पहली महिला लड़ाकू एवीएटर)

देश की पहली महिला लड़ाकू एवीएटर के रूप में अभिलाषा बारक को मात्र 26 की उम्र में नियुक्त किया गया था। उन्होनें इस पद का ख्वाब देखने वाली कई महिलाओं के लिए रास्ता साफ कर दिया था। 

गुंजन सक्सेना

गुंजन सक्सेना (कारगिल गर्ल)

कारगिल गर्ल के नाम से मशहूर फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे। गुंजन सक्सेना देश की पहली महिला पायलट बनी। गुंजन ने कारगिल युद्ध के दौरान लड़ाई में भारत की तरफ से पाकिस्तान को टक्कर दी थी। उन्हें शौर्य वीर अवॉर्ड से नवाजा गया था। इनपर एक फिल्म भी बनाई गई है, जो कि देशभर में पसंद भी की गई है। गुंजन के इस साहस के बाद, कई महिलाओं ने आगे बढ़कर इसमें हिस्सा लिया था। 

पद्मावती बंदोपाध्याय

पद्मावती बंदोपाध्याय (पहली महिला एयर मार्शल)

1968 में पहली बार वायु सेना में शामिल होने वाली पहली महिला पद्मावती बंदोपाध्याय रहीं। उनके 34 साल की सेवा के बाद उन्हें एयर वाइस मार्शल में साल 2002 में तैनात किया गया। उनके इस साहस ने कई और महिलाओं को ऐसा सपना देखने के लिए प्रोत्साहित किया। 

सारांश

सेना में होने के जज्बा और हिम्मत बहुत चाहिय होती है। लेकिन एक समय पर यह सिर्फ पुरुषों का स्थान होता था। धीरे-धीरे कई महिला सेनानियों ने सेना के अलग-अलग हिस्सों में अपनी जगह कायम की और हजारों महिलाओं को यह सपना देखने के लिए प्रोत्साहित किया। आज के तारीख में सेना विभिन्न पदों पर हजारों से भी अधिक महिलाएं कार्यरत हैं और लगातार नए मुकाम हासिल कर रहीं हैं।

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गुंजन सक्सेना कौन हैं?
कारगिल गर्ल के नाम से मशहूर फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे। गुंजन सक्सेना देश की पहली महिला पायलट बनी। गुंजन ने कारगिल युद्ध के दौरान लड़ाई में भारत की तरफ से पाकिस्तान को टक्कर दी थी। उन्हें शौर्य वीर अवॉर्ड से नवाजा गया था। इनपर एक फिल्म भी बनाई गई है, जो कि देशभर में पसंद भी की गई है। गुंजन के इस साहस के बाद, कई महिलाओं ने आगे बढ़कर इसमें हिस्सा लिया था।